Smart City Scam: पुरे देशभर मैं ना जाने कितने स्कैम होते होंगे, किसी का पता चल पाता है, तो किसी का नहीं। आज आपको एक ऐसे स्कैम खबर के बारे में बताने वाले है, जिसके बारे में जानकर आपका दिमांग हिल जाएगा। दरअसल, राजस्थान के दो भाई सुभाष बिजारानी और रणवीर बिजारानी ने स्मार्ट सिटी के नाम पर 70000 लोगों से 2700 करोड़ रूपये ठग लिए। इन दोनों ने मिलकर इस Scam को ऐसा अंजाम दिया कि किसी को भनक तक नहीं लगा। लेकिन, कहावत तो आप सभी ने सुना ही होगा, चोरी कभी-कभी पकड़ी ही जाती है।
चलिए विस्तार से जानते है आखिर इन दोनों भाई ने इतने बड़े स्कैम को कैसे अंजाम दिया।
क्या है Smart City Scam?
राजस्थान के दो भाई जिनका नाम सुभाष बिजारानी और रणवीर बिजारानी है, जिनको बिजारानी ब्रदर्स के नाम से भी जाना जाता है। इन दोनों भाइयों ने 7000 लोगों को स्मार्ट सिटी में घर, प्लॉट और ज्यादा रिटर्न का सपना दिखाकर सभी लोगों से कुछ ना कुछ पैसे लिए। जानकारी के मुताबिक इन्होने कुल 2700 करोड़ रूपये का घोटाला किया है। काफी दिनों के बाद इस घोटाले का पर्दाफाश हुआ और ED बिजारानी भाईयों के ठिकानों पर छापेमारी कर रही है।
आखिर बिजारानी ब्रदर्स ने इस घोटाले को कैसे अंजाम दिया?
बिजारानी ब्रदर्स राजस्थान के सीकर शहर के रहने वाले थे। दोनों ने मिलकर धोलेरा स्मार्ट सिटी के नाम पर 70 हजार लोगों से करोड़ों रूपये लिए। दरअसल, रणवीर बिजरानी ने साल 2014 में धोलेरा में जमीन खरीदी थी और उसका दूसरा भाई सेना से रिटायर होने के बाद उसने भी 30 लाख रूपये के धोलेरा में जमीन ले लिए।
उसके बाद दोनों भाइयों ने 2021 में अहमदाबाद में नेक्सा एवरग्रीन नाम से एक कंपनी रजिस्टर्ड कर ली। उन्होंने लोगों से दावा किया कि उनकी कंपनी धोलेरा स्मार्ट सिटी परियोजना का हिस्सा है। दोनों भाइयों ने यह भी दावा किया कि उनके पास 1300 बीघा जमीन है और वे इस पर वर्ल्ड क्लास हाउसिंग प्रोजेक्ट बनाने वाले हैं।
इसके बाद इन्होने लोगों से प्लॉट, फ्लैट, जमीव और बेहतर रिटर्न के नाम पर इस स्मार्ट सिटी में निवेश करवाया। लोगों को विश्वास दिलाने के लिए इन्होने कमीशन के तौर पर 1500 करोड़ बाट दिए। इस स्कैम को अंजाम देने के लिए 15 से ज्यादा शेल कंपनियां बनाईं। इसके बाद एजेंट्स को कमीशन और गिफ्ट देकर उन्होंने 70 हजार लोगों को अपनी इस फर्जी स्मार्ट सिटी में निवेश करवाया।
दोनों भाईयों ने लोगों को लग्जरी घरों के सपने दिखाए और अपने लिए राजस्थान ले लेकर गोवा में होटल, फ्लैट, खदान, रिसॉर्ट खरीदना शुरू कर दिया। निवेशकों के पैसों को उन्होनें अलग-अलग जगहों पर निवेश कर दिया, जिसमें 26 शेल कंपनियां को इस्तेमाल किया गया। इस तरह उन्होंने कुल 2700 करोड़ का स्कैम किया।
कैसे पर्दाफाश हुआ स्मार्ट सिटी स्कैम घोटाला?
कंपनी ने धीरे-धीरे अपने ऑफिस को बंद करना शुरू कर दिया। जहाँ-जहाँ पर कंपनी खोला गया था, वे सब रातो-रातो वहाँ से गायब हो गए। उसके बाद लोगो को सख होना शुरू हुआ। जिसके बाद अलग-अलग पुलिस स्टेशनों में शिकायतें दर्ज होने लगी। मामले का खुलासा होते ही ED ने झुंझुनूं, सीकर, जयपुर और अहमदाबाद में 25 जगहों पर छापेमारी की। छापेमारी में करोडो़ं के कैश, क्रिप्टो खाते सीज किए गए। हालांकि, घोटाले की रकम के मुकाबले यह बरामदगी बहुत कम है।