What is MDR: हाल ही में पीएमओ (PMO) और आर्थिक मामलों के विभाग (DEA) के बीच एक बैठक हुई, जिसमे डिजिटल भुगतान को स्थिर बनाने के उद्देश्य से UPI और रुपे डेबिट कार्ड लेन-देन पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) को लागू करने पर गंभीर विचार विमर्श किया गया। चलिए विस्तार से जानते है आखिर ये एमडीआर (MDR) क्या है और इसके लागू होने पर किसे नुकशान या फायदा होने वाला है।
एमडीआर (MDR) क्या है?
एमडीआर का फुल फॉर्म मर्चेंट डिस्काउंट रेट (Merchant Discount Rate) है। ये वह शुल्क होता है जिसे व्यापारी डेबिट या क्रेडिट या यूपीआई जैसे डिजिटल भुगतानों के लिए बैंको को अदा करता है।
वर्तमान (जनवरी 2020) मैं यूपीआई और रुपे डेबिट कार्ड लेन-देन पर एमडीआर लागू नहीं किया गया है। हालांकि, भारत मैं डिजिटल भुगतान से लेन-देन बढ़ने के कारण, सरकार फिर से एमडीआर को लागू करने पर सोच विचार कर रही है।
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MDR लागू होने पर किसे ज्यादा नुकसान होने वाला है?

जनवरी 2020 से कोई भी एमडीआर लागू नहीं था, यानि अब जीरो एमडीआर की पॉलिसी खत्म हो सकती है। जिससे ज्यादातर नुकशान बड़े व्यापरी को होने वाला है। विभिन्न सूत्रों से यह पता चला है की अगर UPI के माध्यम से 3000 से ज्यादा का का लेन-देन होता है तो मर्चेंट डिस्काउंट रेट फिर से लागू हो सकता है। वही, इससे कम वाले भुगतान पर कोई भी एमडीआर नहीं लगने वाला है। हालांकि, अभी यह निर्णय नहीं लिया गया है की एमडीआर की दरे क्या होगी।
कबतक लागू होने वाला है मर्चेंट डिस्काउंट रेट?
फिलहाल एमडीआर को लागू करने के लिए कोई निश्चित तिथि निर्धारित नहीं की गई है। लेकिन, ऐसा उम्मीद किया जा रहा है की कुछ ही महीनो के अंदर इसके लागू किया जा सकता है। यह कदम सरकार के द्वारा इसलिए उठाया जा रहा है ताकि डिजिटल भुगतान को स्थिर और टिकाऊ बनाया जा सके। ऐसा इसलिए क्योंकि भारत मैं डिजिटल भुगतान लगातार तेजी से बढ़ता जा रहा है। PIB द्वारा जारी किए गए रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल अक्टूबर 2024 मैं 23.49 लाख करोड़ का ट्रांसक्शन्स किया गया था। जिसकी संख्या हर साल बढ़ते ही जा रही है।
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MDR की दर क्या हो सकती है?
हालांकि, अभी एमडीआर की दर तय नहीं की गई है। पर ऐसा उम्मीद किया जा रहा है की यह दर 0.2% से 0.3% के बीच हो सकती है।